समय के घाव भरने का अधिकारपत्र प्रेम की जेब में पड़ा मुस्कुरा ही रहा था, कि तालाब से उठता हुआ धुंआ अपनी पीड़ा लेकर पहुँच गया। प्रेम क्या करता! उसने तालाब की मछलियों के खातिर खुद को डुबो दिया तालाब में। और तालाब आज कमल की फसल से आबाद हैं।
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