Thursday 17 November 2016

नागरिकता का त्याग

स्वर्ग की जम्हाई के बीच नर्क के मील के पत्थर के पास, कपड़े सुखाती देवपुत्री। जब पलट पलट कर मनुष्य की राख से काले हुए आसमान को देखती है। अचानक से वो अपने प्रेमी को याद करते हुए गीले हाथों से राख को छु कर रोना चाहती हैं।
इस स्वप्न से उठकर स्वर्ग की नागरिकता का त्यागपत्र लिखना कितना आसान लगा उसे।

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