स्वर्ग की जम्हाई के बीच नर्क के मील के पत्थर के पास, कपड़े सुखाती देवपुत्री। जब पलट पलट कर मनुष्य की राख से काले हुए आसमान को देखती है। अचानक से वो अपने प्रेमी को याद करते हुए गीले हाथों से राख को छु कर रोना चाहती हैं।
इस स्वप्न से उठकर स्वर्ग की नागरिकता का त्यागपत्र लिखना कितना आसान लगा उसे।
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