तुम्हारा हर प्रेम, तुम्हारी बाट जोहती पलकों के भारी होने की वजह को मिटाते हुए जिंदगी जीने को मजबूर करता प्राकृतिक तन्त्र हैं। जीना चाहिए, हर आशा के किनारे। क्योंकि आशा-प्रेम और जीवन का हर एक क्षण कम से कम उतना तो सत्य है ही, जितना सत्य तुम्हारा होना हैं। पल पल जीना, ताकि पलकों पर जमी नमक की परत पिघल कर होंठो तक पहुँचे। और चखने भर से जीवन की मिठास का साक्षात् हो सके।
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